भाविका सनाढ्य : पिता के जाने का गम सहते हुए भी बनीं देश की सबसे कम उम्र की सोलो पर्वतारोही

भाविका सनाढ्य नाम आज हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। ये वही भाविका हैं जिन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस को फतह कर वहां तिरंगा फहराया था।

भाविका सनाढ्य : पिता के जाने का गम सहते हुए भी बनीं देश की सबसे कम उम्र की सोलो पर्वतारोही
भाविका सनाढ्य : पिता के जाने का गम सहते हुए भी बनीं देश की सबसे कम उम्र की सोलो पर्वतारोही

भाविका सनाढ्य नाम आज हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। ये वही भाविका हैं जिन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस को फतह कर वहां तिरंगा फहराया था। लेकिन भाविका की ये जीत सिर्फ एक पर्वतारोहण की उपलब्धि नहीं है, बल्कि कठिन परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा भी है।

19 साल की उम्र में भाविका के जीवन में एक ऐसा तूफान आया जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया। 2022 के नववर्ष के दिन उन्हें अपने पिता को खोने का गहरा सदमा लगा। पढ़ाई-लिखाई और कॉलेज की जिंदगी जी रहीं भाविका को अचानक अपने परिवार की ज़िम्मेदारी संभालनी पड़ी।

परंतु, भाविका ने हार नहीं मानी। दुःख और तकलीफों के बीच उन्होंने मजबूती से खड़े रहने का फैसला किया। हर एक दिन उनके लिए एक नई चुनौती बन गया, लेकिन भाविका हिम्मत और लचीलेपन के साथ आगे बढ़ने के लिए दृढ़ थीं।

पहाड़ों पर चढ़ाई भाविका का जुनून था। अपने पिता के सपने को पूरा करने और खुद को मज़बूत बनाने के लिए उन्होंने माउंट एल्ब्रुस फतह करने का लक्ष्य रखा। कड़ी मेहनत और प्रशिक्षण के बाद भाविका ने इस मुश्किल चोटी को फतह कर लिया और वहां तिरंगा फहराकर भारत का नाम रोशन किया।

भाविका की कहानी हमें यह सीख देती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अपने जुनून को ज़िंदा रखते हुए हम हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। भाविका सनाढ्य एक ऐसी युवा पर्वतारोही हैं जिन्होंने न सिर्फ शिखर जीता बल्कि विपरीत परिस्थितियों में भी जीत हासिल की।